मालाबती:- एक बडे ही नटखट बच्चे को समभालने मे मजबुर थी।
और बो बालक बहुत-बहुत रोते जा रहा था।
पति:- आते हि बोलता है। अरे भाग्यवान कुछ खाना-पीना बनाए कि नहीं।
मालाबती:- अरे का खाना-पीना बनाबे हमारी करमे फूटल है। कि नलायक बेटा पैदा लिया। कखनो चुप होवे के नामों नैय ले रहा है।
<<बेटा को अपनी ने गोद मे लेकर>>>>
दुलारते हुऐ।
पति :- चुप हो जा मेरे लाल। बोलो का चाहिए तुम्हें।
बेटा :- बाबू जी हमको ईख चाहिए।
बाप अपने नौकर को आदेश देता है और बोलता है जाओ मेरे बेटे के लिए ईख लेकर आओ।
💐💐💐💐ईख लाता है।💐 💐💐
बाप:- अब चुप हो जा मेरे लाल
तो बच्चा के फुटानी यहां पर।
बेटा :- बाबू जी इ का हमरा बुडबक बना रहे हो का।
इ बास का लाठी है। हमको पता लगा हुआ है ईख चाहिए।
बाप:- पुनः अपने नौकर को आदेश देता है कि मेरे बेटे के लिए पता सहित ईख लाकर दो।
💐💐पता बाला ईख लाकर देता है। 💐💐
बाप :-अब चुप हो जा मेरे लाल।
<<>>>> बेटा रोते रहता है। <<<>>>>>
बाप :- अब का
िए तुम्हें।
बेटा :- बाबू जी हमको एक चुका है लाकर दिजिये।
बाप अपने नौकर को आदेश देता है और बोलता है जाओ मेरे बेटे के लिए चुका लेकर आओ।
👌👌👌चुका लाता है।👌👌👌
<<<>>>बेटा रोते रहता है<<<>>>
बाप:- अब चुप हो जा मेरे लाल अब का चाहिए।
बेटा :- बाबू जी हमको एगो हाथी लाकर दो।
बाप अपने नौकर को आदेश देता है और बोलता है जाओ मेरे बेटे के लिए एक हाथी लेकर आओ।
😊😊😊😊हाथी लाता है।😉😉😉😉
<<<>>>बेटा फिर भी रोते रहता<<<>>>>>
बाप:- अब चुप हो जा मेरे लाल अब का चाहिए।
बेटा :- बाबू जी ई हथिया के चुका मे घुसा दा।
बाप गुस्सा मे आग बबुला होते हुए
एक पटका मारते हुए
बाप :- का रे तुही एगो चिल्का पैदा लिया है
और अपनी औरत को बोलता है। लो संभाल अपनी नलायक औलाद को।
समाप्त
रौशन कुमार वजीरगंज
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