सपने में भी महाराणा प्रताप से कांपता था अकबर, हो जाता था पसीना-पसीना
हिंदुस्तान पुराने जमाने से ही सुसंस्कृत और संपन्न देश रहा है। मध्य युग की शुरुआत में मुस्लिम शासकों का भारत आगमन हो गया था। रॉयल ऑफ इंडिया सीरीज के तहत बताने जा रहा है मशहूर राजाओं और मुगल बादशाहों की जानी-अनजानी कहानियों के बारे में। इसी कड़ी में आज हम आपको बता रहे हैं मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप की सेना के बीच 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध की पूरी कहानी।
जयपुर। वीर योद्धा महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच हल्दीघाटी में हुए युद्ध के बाद अकबर मानसिक से रूप से बहुत विचलित हो गया था। अपने हरम में जब वह सोता था तब रात में नींद में कांपने लगता था। अकबर की हालात देख उसकी पत्नियां भी घबरा जाती, इस दौरान वह जोर-जोर से से महाराणा प्रताप का नाम लेता था। हल्दीघाटी की मिट्टी का रंग हल्दी की तरह पीला है। यहीं पर महाराणा प्रताप की सेना ने अकबर की फौज को नाको चने चबाने मजबूर कर दिया था। 18 जून 1576 में मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर के बीच भीषण युद्ध हुआ था। इस लड़ाई में न अकबर जीता और न महाराणा प्रताप हारे। कई दौर में हुए इस युद्ध के बारे में कहा जाता है कि अकबर महाराणा प्रताप के युद्ध कौशल से इतना घबरा गया था कि उसे सपने में महाराणा प्रताप दिखते थे। अकबर सोते समय कांपने के साथ महाराणा प्रताप का नाम लेकर कांपने लगता था।
हल्दीघाटी का कण-कण कहता है बलिदान की कहानी
हल्दीघाटी का कण-कण प्रताप की सेना के शौर्य, पराक्रम और बलिदानों की कहानी कहता है। रणभूमि की कसौटी पर राजपूतों के कर्तव्य और वीरता के जज्बे की परख हुई थी। मेवाड़ के राजा राणा उदय सिंह और महारानी जयवंता बाई के पुत्र महाराणा प्रताप सिसोदिया वंश के अकेले ऐसे राजपूत राजा थे जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर की आधीनता अस्वीकार करने का साहस दिखाया था और जब तक जीवित रहे अकबर को चैन से नहीं रहने दिया।
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