Friday, 25 December 2015

भारत का भूगोल


भारत का भूगोल

देश में वर्षा का वितरण
अधिक वर्षा वाले क्षेत्रयहाँ वार्षिक वर्षा की मात्रा 200 सेमीसे अधिक होता है। क्षेत्रअसम,अरुणाचल प्रदेशमेघालयसिक्किमकोंकणमालाबार तटदक्षिण कनारामणिपुर एवंमेघालय।
साधारण वर्षा वाले क्षेत्र- इस क्षेत्र में वार्षिक वर्षा की मात्रा 100 से 200 सेमीतक होती है।क्षेत्रपश्चिमी घाट का पूर्वोत्तर ढाल,  पंबँगाल का दक्षिणीपश्चिमी क्षेत्रउड़ीसाबिहार,दक्षिणी-पूर्वी उत्तर प्रदेश इत्यादि।
न्यून वर्षा वाले क्षेत्र- यहाँ 50 से 100 सेमीवार्षिक वर्षा होती है। क्षेत्रमध्य प्रदेशदक्षिणका पठारी भागगुजरातकर्नाटकपूर्वी राजस्थानदक्षिणी पँजाबहरियाणा तथा दक्षिणीउत्तर प्रदेश।
अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र- यहाँ वर्षा 50 सेमीसे भी कम होती है। क्षेत्रकच्छपश्चिमीराजस्थानलद्दाख आदि।
भूगर्भिक इतिहास
भारत की भूगर्भीय संरचना को कल्पों के आधार पर विभाजित किया गया है। प्रीकैम्ब्रियनकल्प के दौरान बनी कुडप्पा और विंध्य प्रणालियां पूर्वी  दक्षिणी राज्यों में फैली हुई हैं। इसकल्प के एक छोटे काल के दौरान पश्चिमी और मध्य भारत की भी भूगर्भिक संरचना तयहुई। पेलियोजोइक कल्प के कैम्ब्रियनऑर्डोविसियनसिलुरियन और डेवोनियन शकों केदौरान पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में कश्मीर और हिमाचल प्रदेश का निर्माण हुआ। मेसोजोइकदक्कन ट्रैप की संरचनाओं को उत्तरी दक्कन के अधिकांश हिस्से में देखा जा सकता है। ऐसामाना जाता है कि इस क्षेत्र का निर्माण ज्वालामुखीय विस्फोटों की वजह से हुआ।कार्बोनिफेरस प्रणालीपर्मियन प्रणाली और ट्रियाजिक प्रणाली को पश्चिमी हिमालय में देखाजा सकता है। जुरासिक शक के दौरान हुए निर्माण को पश्चिमी हिमालय और राजस्थान मेंदेखा जा सकता है।
टर्शियरी युग के दौरान मणिपुरनागालैंडअरुणाचल प्रदेश और हिमालियन पट्टिका में काफीनई संरचनाएं बनी। क्रेटेशियस प्रणाली को हम मध्य भारत की विंध्य पर्वत श्रृंखला  गंगादोआब में देख सकते हैं। गोंडवाना प्रणाली को हम नर्मदा नदी के विंध्य  सतपुरा क्षेत्रों में देखसकते हैं। इयोसीन प्रणाली को हम पश्चिमी हिमालय और असम में देख सकते हैं।ओलिगोसीन संरचनाओं को हम कच्छ और असम में देख सकते हैं। इस कल्प के दौरानप्लीस्टोसीन प्रणाली का निर्माण ज्वालमुखियों के द्वारा हुआ। हिमालय पर्वत श्रृंखला कानिर्माण इंडो-ऑस्ट्रेलियन और यूरेशियाई प्लेटों के प्रसार  संकुचन से हुआ है। इन प्लेटों मेंलगातार प्रसार की वजह से हिमालय की ऊँचाई प्रतिवर्ष 1 सेमीबढ़ रही है।
भारतीय प्लेट: भारत पूरी तरह से भारतीय प्लेट पर स्थित है। यह एक प्रमुख टेक्टोनिकप्लेट है जिसका निर्माण प्राचीन महाद्वीप गोंडवानालैंड के टूटने से हुआ है। लगभग 9 करोड़वर्ष पूर्व उत्तर क्रेटेशियस शक के दौरान भारतीय प्लेट ने उत्तर की ओर लगभग 15 सेमीप्रति वर्ष की दर से गति करना आरंभ कर दिया। सेनोजोइक कल्प के इयोसीन शक के दौरानलगभग 5 से 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व यह प्लेट एशिया से टकराई। 2007 में जर्मन भूगर्भशास्त्रियोंने बताया कि भारतीय प्लेट के इतने तेजी से गति करने का सबसे प्रमुख कारण इसका अन्यप्लेटों की अपेक्षा काफी पतला होना था। हाल के वर्र्षों में भारतीय प्लेट की गति लगभग 5सेमीप्रतिवर्ष है। इसकी तुलना में यूरेशियाई प्लेट की गति मात्र 2 सेमी प्रतिवर्ष ही है। इसीवजह से भारत को च्फास्टेस्ट कांटीनेंटज् की संज्ञा दी गई है।

जल राशि
भारत में लगभग 14,500 किमीआंतरिक नौपरिवहन योग्य जलमार्ग हैं। देश में कुल 12नदियां ऐसी हैं जिन्हें बड़ी नदियों की श्रेणी में रखा जा सकता है। इन नदियों का कुल अपवाहक्षेत्रफल 2,528,000 वर्ग किमीहै। भारत की सभी प्रमुख नदियां निम्नलिखित तीन क्षेत्रों सेनिकलती हैं-
1. 
हिमालय या काराकोरम श्रृंखला
2. 
मध्य भारत की विंध्य और सतपुरा श्रृंखला
3. 
पश्चिमी भारत में साह्यïद्री अथवा पश्चिमी घाट
हिमालय से निकलने वाली नदियों को यहां के ग्लेशियरों से जल प्राप्त होता है। इनकी खासबात यह है कि पूरे वर्ष इन नदियों में जल रहता है। अन्य दो नदी प्रणालियां पूरी तरह सेमानसून पर ही निर्भर हैं और गर्मी के दौरान छोटी नदियां मात्र बन कर रह जाती हैं। हिमालयसे पाकिस्तान बह कर जाने वाली नदियों में सिंधुब्यासचिनाबराबीसतलुज और झेलमशामिल हैं।
गंगा-ब्रह्म्ïापुत्र प्रणाली का जल अपवाह क्षेत्र सबसे ज्यादा 1,100,000 वर्ग किमीहै। गंगाका उद्गम स्थल उत्तरांचल के गंगोत्री ग्लेशियर से है। यह दक्षिण-पूर्व दिशा में बहते हुएबंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। ब्रह्म्ïापुत्र नदी का उद्गम स्थल तिब्बत में है औरअरुणाचल प्रदेश में यह भारत में प्रवेश करती है। यह पश्चिम की ओर बढ़ते हुए बांग्लादेश मेंगंगा से मिल जाती है।
पश्चिमी घाट दक्कन की सभी नदियों का स्रोत है। इसमें महानदीगोदावरीकृष्णा औरकावेरी नदियां शामिल हैं। ये सभी नदियां बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। भारत की कुल 20फीसदी जल अपवाह इन नदियों के द्वारा ही होता है।
भारत की मुख्य खाडिय़ों में कांबे की खाड़ीकच्छ की खाड़ी और मन्नार की खाड़ी शामिल हैं।जल संधियों में पाल्क जलसंधि है जो भारत और श्रीलंका को अलग करती हैटेन डिग्री चैनलअंडमान को निकोबार द्वीपसमूह से अलग करता है और ऐट डिग्री चैनल लक्षद्वीप औरअमिनदीवी द्वीपसमूह को मिनीकॉय द्वीप से अलग करता है। महत्वपूर्ण अंतरीपों में भारतकी मुख्यभूमि के धुर दक्षिण भाग में स्थित कन्याकुमारीइंदिरा प्वाइंट (भारत का धुर दक्षिणहिस्सा), रामा ब्रिज और प्वाइंट कालीमेरे शामिल हैं। अरब सागर भारत के पश्चिमी किनारेपर पड़ता हैबंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर भारत के क्रमशपूर्वी और दक्षिणी भाग मेंस्थित हैं। छोटे सागरों में लक्षद्वीप सागर और निकोबार सागर शामिल हैं। भारत में चारप्रवाल भित्ति क्षेत्र हैं। ये चार क्षेत्र अंडमान और निकोबार द्वीपसमूहमन्नार की खाड़ी,लक्षद्वीप और कच्छ की खाड़ी में स्थित हैं। महत्वपूर्ण झीलों में चिल्क झील (उड़ीसा में स्थितभारत की सबसे बड़ी साल्टवाटर झील), आंध्र प्रदेश की कोल्लेरू झीलमणिपुर की लोकतकझीलकश्मीर की डल झीलराजस्थान की सांभर झील और केरल की सस्थामकोट्टा झीलशामिल हैं।

प्राकृतिक संसाधन
भारत के कुल अनुमानित पुनर्नवीनीकृत जल संसाधन 1,907.8 किमी.घन प्रति वर्ष हैं।भारत में प्रतिवर्ष 350 अरब घन मीप्रयोग योग्य भूमि जल की उपलब्धता है। कुल 35फीसदी भूमिजल संसाधनों का ही उपयोग किया जा रहा है। देश की प्रमुख नदियों  जलमार्र्गों से प्रतिवर्ष 4.4 करोड़ टन माल ढोया जाता है। भारत की 56 फीसदी भूमि खेती योग्यहै और कृषि के लिए प्रयोग की जाती है।
एक मोटे अनुमान के अनुसार भारत में 5.4 अरब बैरल कच्चे तेल के भंडार हैं। इनमें सेअधिकांश बांबे हाईअपर असमकांबेकृष्णा-गोदावरी और कावेरी बेसिन में स्थित हैं। आंध्रप्रदेशगुजरात और उड़ीसा में लगभग 17 खरब घन फीट प्राकृतिक गैस के भंडार हैं। आंध्रप्रदेश में यूरेनियम के भंडार हैं।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा माइका उत्पादक देश है। बैराइट  क्रोमाइट उत्पादन के मामलेमें भारत का दूसरा स्थान है। कोयले के उत्पादन के मामले में भारत का दुनिया में तीसरास्थान हैवहीं लौह अयस्क के उत्पादन के मामले में भारत का चौथा स्थान है। यह बॉक्साइटऔर कच्चे स्टील के उत्पादन के मामले में छठवें स्थान पर है और मैंगनीज अयस्क उत्पादनके मामले में सातवें स्थान पर है। अल्म्युनियम उत्पादन के मामले में इसका आठवां स्थानहै। भारत में टाइटेनियमहीरे और लाइमस्टोन के भी भंडार प्रचुर मात्रा में हैं। भारत में दुनियाके 24 फीसदी थोरियम भंडार मौजूद हैं।

नमभूमि
नमभूमि वह क्षेत्र है जो शुष्क और जलीय इलाके से लेकर कटिबंधीय मानसूनी इलाके में फैलीहोती है और यह वह क्षेत्र होता है जहां उथले पानी की सतह से भूमि ढकी रहती है। ये क्षेत्र बाढ़नियंत्रण में प्रभावी हैं और तलछट कम करते हैं। भारत में ये कश्मीर से लेकर प्रायद्वीपीयभारत तक फैले हैं। अधिकांश नमभूमि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर नदियों के संजाल से जुड़ीहुई हैं। भारत सरकार ने देश में संरक्षण के लिए कुल 71 नमभूमियों का चुनाव किया है। येराष्ट्रीय पार्र्कों  विहारों के हिस्से हैं। कच्छ वन समूचे भारतीय समुद्री तट पर परिरक्षितमुहानोंज्वारीय खाडिय़ोंपश्च जल क्षार दलदलों और दलदली मैदानों में पाई जाती हैं। देश मेंकच्छ क्षेत्रों का कुल क्षेत्रफल 4461 वर्ग किमीहै जो विश्व के कुल का 7 फीसदी है। भारत में मुख्य रूप से कच्छ वन अंडमान  निकोबार द्वीपसमूहसुंदरबन डेल्टाकच्छ की खाड़ी औरमहानदीगोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टा पर स्थित हैं। महाराष्ट्रकर्नाटक और केरल केकुछ क्षेत्रों में भी कच्छ वन स्थित हैं।
सुंदरबन डेल्टा दुनिया का सबसे बड़ा कच्छ वन है। यह गंगा के मुहाने पर स्थित है और पं.बंगाल और बांग्लादेश में फैला हुआ है। यहां के रॉयल बंगाल टाइगर प्रसिद्ध हैं। इसकेअतिरिक्त यहां विशिष्ट प्राणि जात पाये जाते हैं।

भारत की प्रमुख जनजातियां
भारत में जनजातीय समुदाय के लोगों की काफी बड़ी संख्या है और देश में 50 से भी अधिकप्रमुख जनजातीय समुदाय हैं। देश में रहने वाले जनजातीय समुदाय के लोग नेग्रीटो,ऑस्ट्रेलॉयड और मंगोलॉयड प्रजातियों से सम्बद्ध हैं। देश की प्रमुख जनजातियां निम्नलिखितहैं-
आंध्र प्रदेश: चेन्चूकोचागुड़ावाजटापाकोंडा डोरसकोंडा कपूरकोंडा रेड्डीखोंड,सुगेलिसलम्बाडिसयेलडिसयेरुकुलासभीलगोंडकोलमप्रधानबाल्मिक।
असम  नगालैंडबोडोडिमसा गारोखासीकुकीमिजोमिकिरनगाअबोरडाफला,मिशमिसअपतनिससिंधोअंगामी।
झारखण्डसंथालअसुरबैगाबन्जाराबिरहोरगोंडहोखरियाखोंडमुंडाकोरवा,भूमिजमल पहाडिय़ासोरिया पहाडिय़ाबिझियाचेरू लोहराउरांवखरवारकोलभील।
महाराष्ट्रभीलगोंडअगरियाअसुराभारियाकोयावर्लीकोलीडुका बैगागडावास,कामरखडियाखोंडा,  कोलकोलमकोर्कूकोरबामुंडाउरांवप्रधानबघरी।
पश्चिम बंगालहोसकोरामुंडाउरांवभूमिजसंथालगेरोलेप्चाअसुरबैगाबंजारा,भीलगोंडबिरहोरखोंडकोरबालोहरा।
हिमाचल प्रदेशगद्दीगुर्जरलाहौललांबापंगवालाकिन्नौरीबकरायल।
मणिपुरकुकीअंगामीमिजोपुरुमसीमा।
मेघालयखासीजयन्तियागारो।
त्रिपुरालुशाईमागहलमखशियाभूटियामुंडासंथालभीलजमनियारियांगउचाई।
कश्मीरगुर्जर।
गुजरातकथोड़ीसिद्दीसकोलघाकोटवलियापाधरटोडिय़ाबदालीपटेलिया।
उत्तर प्रदेश: बुक्साथारूमाहगीरशोर्काखरवारथारूराजीजॉनसारी।
उत्तरांचलभोटियाजौनसारीराजी।
केरलकडारइरुलामुथुवनकनिक्करमलनकुरावनमलरारायनमलावेतनमलायन,मन्नानउल्लातनयूरालीविशावनअर्नादनकहुर्नाकनकोरागाकोटा,कुरियियान,कुरुमानपनियांपुलायनमल्लारकुरुम्बा।
छत्तीसगढ़कोरकूभीलबैगागोंडअगरियाभारियाकोरबाकोलउरांवप्रधान,नगेशियाहल्वाभतरामाडियासहरियाकमारकंवर।
तमिलनाडुटोडाकडारइकलाकोटाअडयानअरनदानकुट्टनायककोरागकुरिचियान,मासेरकुरुम्बाकुरुमानमुथुवानपनियांथुलयामलयालीइरावल्लन,कनिक्कर,मन्नानउरासिलविशावनईरुला।
कर्नाटकगौडालूहक्कीपिक्कीइरुगाजेनुकुरुवमलाईकुडभीलगोंडटोडावर्ली,चेन्चूकोयाअनार्दनयेरवाहोलेयाकोरमा।
उड़ीसाबैगाबंजाराबड़होरचेंचूगड़ाबागोंडहोसजटायुजुआंगखरियाकोलखोंड,कोयाउरांवसंथालसओरामुन्डुप्पतू।
पंजाबगद्दीस्वागंलाभोट।
राजस्थान:मीणाभीलगरसियासहरियासांसीदमोरमेवरावतमेरातकोली।
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह: औंगी आरबाउत्तरी सेन्टीनलीअंडमानीनिकोबारी,शोपन।
अरुणाचल प्रदेश: अबोरअक्काअपटामिसबर्मासडफलागालोंगगोम्बाकाम्पतीखोभामिसमीसिगंपोसिरडुकपेन। 
                                                  raushan kumar

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