Thursday, 24 December 2015

एक एक करके कैसे और क्यों हुआ था पांडवो का अंत? पूरी कहानी..

    एक एक करके कैसे और क्यों हुआ था पांडवो का अंत? पूरी कहानी..


<div style="text-align: justify;"><br></div><div><div style="text-align: justify;">अर्जुन ने जब ये व्यास ऋषि को बताया की कैसे कृष्ण के जाने के बाद वो उनके प्रजाजनों को न बचा पाया, तब उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य से तुम्हे शक्तिया प्राप्त हुई थी वो अब पूरे हुए, अत: अब तुम्हारे परलोक गमन का समय आ गया है और यही तुम्हारे लिए सही है।&nbsp;</div><div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">महर्षि वेदव्यास की बात सुनकर अर्जुन उनकी आज्ञा से हस्तिनापुर आए और उन्होंने पूरी बात महाराज युधिष्ठिर को बता दी। महर्षि वेदव्यास की बात मानकर द्रौपदी सहित पांडवों ने राज-पाठ त्याग कर परलोक जाने का निश्चय किया, सुभद्रा को राज माता बनाया गया, परीक्षित अभी छोटा था इसलिए राजकाज की जिम्मेदारी युयुत्सु को दी गई।</div></div><div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">Next Slide me पढ़ें:<b><font size="5"> जाने पांडवो के सशरीर स्वर्ग गमन जाने की पूरी चेष्टा की कहानी?</font></b></div>

अर्जुन ने जब ये व्यास ऋषि को बताया की कैसे कृष्ण के जाने के बाद वो उनके प्रजाजनों को न बचा पाया, तब उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य से तुम्हे शक्तिया प्राप्त हुई थी वो अब पूरे हुए, अत: अब तुम्हारे परलोक गमन का समय आ गया है और यही तुम्हारे लिए सही है। 

महर्षि वेदव्यास की बात सुनकर अर्जुन उनकी आज्ञा से हस्तिनापुर आए और उन्होंने पूरी बात महाराज युधिष्ठिर को बता दी। महर्षि वेदव्यास की बात मानकर द्रौपदी सहित पांडवों ने राज-पाठ त्याग कर परलोक जाने का निश्चय किया, सुभद्रा को राज माता बनाया गया, परीक्षित अभी छोटा था इसलिए राजकाज की जिम्मेदारी युयुत्सु को दी गई।
जाने पांडवो के सशरीर स्वर्ग गमन जाने की पूरी चेष्टा की कहानी?
<div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">पांडवों व द्रौपदी ने साधुओं के वस्त्र धारण किए और स्वर्ग जाने के लिए निकल पड़े, पांडवों के साथ-साथ एक कुत्ता भी चलने लगा। अनेक तीर्थों, नदियों व समुद्रों की यात्रा करते-करते पांडव आगे बढऩे लगे। यात्रा करते-करते पांडव हिमालय तक पहुंच गए, हिमालय लांघ कर पांडव आगे बढ़े तो उन्हें बालू का समुद्र दिखाई पड़ा।</div><div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">जो की असल में सुमेरु पर्वत था जो की उनकी आखिरी मंजिल थी लेकिन तब शुरू हुआ मौत का सिलसिला.</div><div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">Next Slide में पढ़ें: <b><font size="5">जाने कौन मरा पहले और क्यों?</font></b></div>

पांडवों व द्रौपदी ने साधुओं के वस्त्र धारण किए और स्वर्ग जाने के लिए निकल पड़े, पांडवों के साथ-साथ एक कुत्ता भी चलने लगा। अनेक तीर्थों, नदियों व समुद्रों की यात्रा करते-करते पांडव आगे बढऩे लगे। यात्रा करते-करते पांडव हिमालय तक पहुंच गए, हिमालय लांघ कर पांडव आगे बढ़े तो उन्हें बालू का समुद्र दिखाई पड़ा।

जो की असल में सुमेरु पर्वत था जो की उनकी आखिरी मंजिल थी लेकिन तब शुरू हुआ मौत का सिलसिला.
जाने कौन मरा पहले और क्यों 
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<div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">सबसे पहले द्रौपदी चलने असमर्थ हो रुक गई तो भीम ने उसे काफी दुरी तक गॉड में उठा के चला, लेकिन जब भीम थका तो द्रौपदी फिर चली और इस दौरान वो गिर पड़ी और मृत हो गई. तब भीम ने युधिष्ठर से उसकी मौत का कारण पूछा तो जवाब मिला&nbsp;पांचाली अर्जुन से ज्यादा मोह के चलते मृत्यु को प्राप्त हुई है.</div><div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">Next Slide में पढ़ें: <b><font size="5">बाकि पांडवो की मौत की कहानी !</font></b></div>


सबसे पहले द्रौपदी चलने असमर्थ हो रुक गई तो भीम ने उसे काफी दुरी तक गॉड में उठा के चला, लेकिन जब भीम थका तो द्रौपदी फिर चली और इस दौरान वो गिर पड़ी और मृत हो गई. तब भीम ने युधिष्ठर से उसकी मौत का कारण पूछा तो जवाब मिला पांचाली अर्जुन से ज्यादा मोह के चलते मृत्यु को प्राप्त हुई है.
बाकि पांडवो की मौत की कहानी 
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<div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">द्रौपदी के मरने के बाद एक एक करके नकुल सहदेव और अर्जुन गिर के मर गए, तो भीम ने उनकी मृत्यु का कारण पूछा तब युधिष्ठर ने बताया की&nbsp;अर्जुन को युद्ध कौशल का नकुल को रूप और सहदेव को बुद्धि पर घमंड था इसके कारण वे सशरीर स्वर्ग नहीं जा पाये।</div><div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">तभी भीम का पैर फिसला और वो मरने लगा तो उसने अपनी मौत का भी कारण पूछा इस्पे जवाब मिला की वो बहुत ही पेटू था और सब के हिस्से का खा जाता था बिना बाकियो की परवाह किये. इस कारन युधिस्ठर और कुत्ते को छोड़ सब मरे, लेकिन कौन था ये कुत्ता?</div><div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">Next Slide में पढ़ें: <b><font size="5">आखिर कौन था वो कुत्ता?</font></b></div>


द्रौपदी के मरने के बाद एक एक करके नकुल सहदेव और अर्जुन गिर के मर गए, तो भीम ने उनकी मृत्यु का कारण पूछा तब युधिष्ठर ने बताया की अर्जुन को युद्ध कौशल का नकुल को रूप और सहदेव को बुद्धि पर घमंड था इसके कारण वे सशरीर स्वर्ग नहीं जा पाये।

तभी भीम का पैर फिसला और वो मरने लगा तो उसने अपनी मौत का भी कारण पूछा इस्पे जवाब मिला की वो बहुत ही पेटू था और सब के हिस्से का खा जाता था बिना बाकियो की परवाह किये. इस कारन युधिस्ठर और कुत्ते को छोड़ सब मरे, लेकिन कौन था ये कुत्ता










 आखिर कौन था वो कुत्ता?





<div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">सिर्फ युधिष्ठर और उनके साथ ही चल रहा एक कुत्ता जीवित रहा&nbsp;उन्होंने सुमेरु पर्वत के दर्शन किए,&nbsp;. युधिष्ठिर कुछ ही दूर चले थे कि उन्हें स्वर्ग ले जाने के लिए स्वयं देवराज इंद्र अपना रथ लेकर आ गए.</div><div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">युधिष्ठिर ने कहा कि यह कुक्कर मेरे साथ ही जायेगा इसने मेरा साथ नहीं छोड़ा, तब कुत्ता यमराज के रूप में बदल गया। युधिष्ठिर को कुत्ते से भी सद्भावना रखने पर आनंदित हुए, इसके बाद देवराज इंद्र युधिष्ठिर को अपने रथ में बैठाकर स्वर्ग ले गए। दरअसल वो कुत्ता विदुर के रूप में यमराज की आत्मा थी, यमराज मांडव्य ऋषि के श्राप के चलते विदुर रूप में जन्मे थे.</div><div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;">ऐसे सिर्फ युधिष्ठर सशरीर स्वर्ग पहुंचे और धर्मराज होने का मान भी कमाया.</div><div style="text-align: justify;"><br></div><div style="text-align: justify;"><br></div>






सिर्फ युधिष्ठर और उनके साथ ही चल रहा एक कुत्ता जीवित रहा उन्होंने सुमेरु पर्वत के दर्शन किए, . युधिष्ठिर कुछ ही दूर चले थे कि उन्हें स्वर्ग ले जाने के लिए स्वयं देवराज इंद्र अपना रथ लेकर आ गए.

युधिष्ठिर ने कहा कि यह कुक्कर मेरे साथ ही जायेगा इसने मेरा साथ नहीं छोड़ा, तब कुत्ता यमराज के रूप में बदल गया। युधिष्ठिर को कुत्ते से भी सद्भावना रखने पर आनंदित हुए, इसके बाद देवराज इंद्र युधिष्ठिर को अपने रथ में बैठाकर स्वर्ग ले गए। दरअसल वो कुत्ता विदुर के रूप में यमराज की आत्मा थी, यमराज मांडव्य ऋषि के श्राप के चलते विदुर रूप में जन्मे थे.

ऐसे सिर्फ युधिष्ठर सशरीर स्वर्ग पहुंचे और धर्मराज होने का मान भी कमाया.



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